🕉️📿🕉️📿🕉️📿🕉️📿ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम् ।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरूं तं नमामि ।।
अर्थः
ब्रह्मानन्दं – जो ब्रह्मानन्द स्वरूप हैं,
परमसुखदं – परम सुख देने वाले हैं,
केवलं ज्ञानमूर्तिं – जो केवल ज्ञानस्वरूप हैं,
द्वन्द्वातीतं – (सुख-दुःख, शीत-उष्ण आदि) द्वंद्वों से रहित हैं,
गगनसदृशं – आकाश के समान सूक्ष्म और सर्वव्यापक हैं,
तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम् – तत्त्वमसि आदि महावाक्यों के लक्ष्यार्थ हैं, तत्व को जानना और धारण करना एक मात्र लक्ष्य है
एकं – एक हैं,
नित्यं – नित्य हैं,
विमलमचलं – विमल हैं, अचल हैं,
सर्वधीसाक्षिभूतं – सर्व बुद्धियों के साक्षी हैं, सदैव सभी भूतों को साक्षी भाव से देखना
भावातीतं – भावों अतीत माने परे हैं,
त्रिगुणरहितं – सत्त्व, रज, और तम तीनों गुणों के रहित हैं,
सद्गुरूं तं नमामि – ऐसे श्री सद्गुरूदेव को मैं नमस्कार करता हूँ !.